चतुरंगा दंडासन सबसे ज्यादा अभ्यास किया जाने वाला योगासन है। यह एक आसान और प्रभावी योगासन है, जिसे सूर्य नमस्कार के चरणों में भी शामिल किया गया है। इस योगासन की मदद से आप अपने हैमस्ट्रिंग, जांघ, ग्लूट और कोर मसल्स को मजबूत बना सकते हैं। इस आसन के नियमित अभ्यास से आपकी अपर बॉडी का पोस्चर भी सुधरता है। लेकिन चतुरंगा दंडासन करते हुए आपको इसका सही तरीका आना चाहिए, क्योंकि इसमें आपकी कलाई के चोटिल होने की संभावनाएं होती हैं। आइए चतुरंगा दंडासन करने का सही तरीका जानते हैं। [ये भी पढ़ें: उत्थित पार्श्वकोणासन करने की विधि और इसके स्वास्थ्य लाभ]
चतुरंगा दंडासन करने का सही तरीका:
1. सबसे पहले अपने घुटनों और हाथों को जमीन पर टिका लें।
2. अब अपने पैरों को सीधा करके शरीर का सारा भार पैरों के पंजों पर रख लें और हाथों को कंधों के बराबर चौड़ा कर लें।
3. अपने पैरों की एडियों को ठीक पंजे के ऊपर ही रखें। वह पंजों से आगे या पीछे की ओर ना झुके हुए हों।
4. आपकी कोर मसल्स बिल्कुल अन्दर की तरफ होनी चाहिए।
5. अपने ग्लूट मसल्स और हैमस्ट्रिंग को कसा हुआ रखें।
6. अपने कंधों को नीचे और छाती को सीधा रखें।
7. अपने एब्स और कूल्हों को भी कसा हुआ रखें।
8. ध्यान रखें कि आपकी गर्दन ऊपर उठी हुई ना हो तथा जमीन की ओर देखें।
9. इसी अवस्था में कुछ देर रुके रहें।
10. इस आसन में रहते हुए लगातार सांस अन्दर-बाहर करते रहें।
11. अपनी नाभि को अन्दर की तरफ ही दबाए रखें।
आप इस आसन में शरीर को नीचे लाकर विविधता भी ला सकते हैं और इस पोजीशन में भी कुछ देर रहें। लेकिन अपनी कमर को बिल्कुल सीधा रखें। [ये भी पढ़ें: शशांकासन करने की विधि और इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभ]
चतुरंगा दंडासन करने के फायदें:
चतुरंगा दंडासन करने से आपकी कोर मसल्स और कमर मजबूत बनती है। शरीर के ऊपरी शरीर का पोस्चर सुधारने के लिए इस आसन को जरुर करना चाहिए, क्योंकि इस आसन को करते हुए आपके हाथ, ट्राइसेप्स और कंधें सक्रिय रहते हैं। साथ ही यह आपके ग्लूट, जांघ और हैमस्ट्रिंग मसल्स को भी मजबूत बनाती है। लेकिन जिन लोगों को कलाई में दर्द की शिकायत रहती है, वो लोग इस आसन को ना करें। [ये भी पढ़ें: वज्रासन करने की विधि और इससे मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ]