अन्य योगासन की तरह हलासन का नाम भी इसकी मुद्रा के अनुसार दिया गया है। हलासन की मुद्रा खेत को जोतने वाले हल जैसी होती है। अगर इसे करने की शुरुआत सही की जाए तो आखिरी तक यह सही तरीके से होता है। जैसे ही इसे करते समय आपके पैर जमीन को छू लेते हैं आप इसके एडवांस पोज करने लगते हैं। पाचन अंगों की मसाज करने के लिए यह योगासन फायदेमंद होता है। अगर इस आसन को सुबह जल्दी उठकर किया जाए तो इसके फायदे ज्यादा होते हैं। तो आइए आपको हलासन करने की विधि और इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताते हैं। [ये भी पढ़ें: शशांकासन करने की विधि और इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभ]
हलासन करने की विधि:
- हलासन करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल फर्श पर लेट जाएं।
- उसके बाद घुटनों को मोड़ते हुए, कूल्हों को ऊपर की तरफ उठाएं। इस समय आप हाथों को कूल्हों पर रख सकते हैं।
- अब पैरों को ऊपर उठाते हुए सिर के ऊपर से ले जाते हुए फर्श पर टच कराएं। आपके पैरों की अंगुलियां फर्श से टच हो जाने के बाद हाथों को फर्श पर रखकर लॉक कर लें।
- इस दौरान सांस लेते और छोड़ते रहें। अपनी फ्लैक्सीबिलिटी के अनुसार कुछ सेकेंड तक इस मुद्रा में रहें।
- उसके बाद आराम से पैरों को सीधा करते हुए, हाथों के लॉक खोलते हुए अपनी पुरानी मुद्रा में आ जाएं।
हलासन करने के फायदे:
- थाइरॉइड की समस्या के इलाज के लिए हलासन बहुत फायदेमंद होता है। दोनों तरह के थाइरॉइड के लिए यह फायदेमंद होता है।
- हलासन करते समय जब आप पैरों को सिर के ऊपर से ले जाया जाता है तो इससे हैमस्ट्रिंग और पैरों की अंगुलियां स्ट्रेच होती हैं।
- इसे करने से आपकी आंतरिक स्ट्रेंथ बढ़ती है।
- हाथों को लॉक करने से कंधों से तनाव दूर होता है। [ये भी पढ़ें: उत्थित पार्श्वकोणासन करने की विधि और इसके स्वास्थ्य लाभ]
हलासन करते समय बरते यह सावधानियां:
- अगर किसी व्यक्ति को सर्वाइकल की समस्या है तो इसे करने से बचना चाहिए क्योंकि इससे गर्दन पर दबाव पड़ सकता है।
- हाई ब्लड प्रेशर और अस्थमा की समस्या है पैरों के सपोर्ट के लिए किसी प्रोप का इस्तेमाल करें।
- अगर आप प्रेग्नेंट हैं तो हलासन को तभी करें अगर आप लंबे समय से इसे करती आ रही हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान हलासन करना शुरु ना करें। [ये भी पढ़ें: चतुरंगा दंडासन को कैसे करें]