एक गर्भवती महिला के दिमाग में पहली तिमाही के दौरान बहुत सी बातें आते रहती हैं और वो अपने प्रेग्नेंसी और आने वाले बच्चे के बारे में बहुत सी बातें सोचने लगती हैं। ऐसा उनके शरीर के हॉर्मोन्स में बदलाव आने की वजह से भी होता है।
गर्भावस्था के हफ्ते
प्रेग्नेंसी का चालीसवां सप्ताह
चालीसवें सप्ताह के दौरान गर्भ के अंदर बच्चे का प्रेशर और उसकी गतिविधियां बढ़ जाती है जिसके कारण मां के गर्भ में ज़्यादा दबाव पड़ता है और पेट में दर्द भी बढ़ने लगता है।
प्रेग्नेंसी का उन्तालीसवां सप्ताह
उन्तालीसवें हफ्ते में प्रेग्नेंट महिला को बेचैनी सी महसूस होने लगती है और बैठने-उठने में भी तकलीफ होने लगती है। साथ ही इस हफ्ते तक बच्चे का पूर्ण रुप से विकास हो चुका होता है।
प्रेग्नेंसी का अड़तीसवां सप्ताह
अड़तीसवें हफ्ते तक मां के शरीर में अंदरूनी और बाहरी बदलाव होने लगते हैं। इस दौरान महिलाओं के योनि से भी निरंतर स्राव होता रहता है जो स्वाभाविक होता है।
प्रेग्नेंसी का सैंतीसवां सप्ताह
इस हफ्ते में मां को श्रोणि(पेल्विस) की हड्डियों पर ज्यादा दबाव महसूस होता हैं, क्योंकि गर्भ में पल रहा शिशु श्रोणि की हड्डियों को तकिये की तरह इस्तेमाल करता है।
प्रेग्नेंसी का छत्तीसवां सप्ताह
प्रेग्नेंसी के छत्तीसवें हफ्ते में बच्चा कभी भी जन्म ले सकता है तो आइए जानते हैं इस हफ्ते में किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है।
प्रेग्नेंसी का पैंतीसवां हफ्ता
प्रसव का समय नजदीक होने की वजह से आपको केगल एक्सरसाइज करनी चाहिए। यह एक्सरसाइज पेल्विक मांसपेशियों को मजबूत करने और बढ़े हुए दबाव के लिए तैयार करने में मदद करती है।
प्रेग्नेंसी का चौंतीसवां सप्ताह
चौंतीसवें सप्ताह तक आपके चेहरे, हाथो और पैरों पर सूजन आने लगती है और अंतिम समय आते-आते शरीर में हुए बदलाव संवेदनशील हो जाते हैं।
प्रेग्नेंसी का तैंतीसवां सप्ताह
प्रेग्नेंसी की अंतिम तिमाही में आ जाने के बाद डॉक्टर को जरुर दिखाएं ताकि अगर आपको कोई परेशानी हो तो उसे ठीक किया जा सके और प्रसव के समय कोई दिक्कत ना आए।
प्रेग्नेंसी का बत्तीसवां सप्ताह
प्रेग्नेंसी के बत्तीसवें सप्ताह में आपको अपना ज्यादा ध्यान रखना चाहिए क्योंकि इस समय तक आप प्रसव के लिए तैयार हो गई होती है। आइए जानते हैं क्या करना सही है और क्या गलत।