
एंडोमेट्रियोसिस एक टिशू डिसऑर्डर है, जिसमें सामान्य रूप से गर्भाशय (एंडोमेट्रियम) के अंदर बढ़ने वाले टिशू गर्भाशय के बाहर बढ़ने लगते हैं जिससे महिलाओं को गर्भधारण करने में बाधा उत्पन्न होती है। यह एक दर्दनाक स्थिति है जहां औवरी में टिशू का क्लप्स बढ़ता है। एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं को प्रभावित करता है। दवाइयों के अलावा अपने आहार में भी बदलाव लाकर आप एंडोमेट्रियोसिस और कंसीव करने की समस्या को दूर कर सकते हैं। इसलिए, यदि आप एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित हैं तो आपको यह जानने की जरूरत है कि आप अपने आहार में क्या सेवन करेंगे तो इस समस्या से राहत पा सकते हैं। [ये भी पढ़ें: गर्भधारण से पहले जीवनशैली को स्वस्थ बनाने के लिए क्या करें]
फैटी फूड्स से बचें:
अगर आप एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित हैं तो आपके लिए रेड मिट और अन्य जानवरों के उत्पादों का सेवन ना करें। ऐनिमन प्रोडक्ट्स में एस्ट्रोजेन की मात्रा अत्यधिक होती है, तो ऐसे में आपको फैटी फूड्स और ट्रांस फैट के सेवन से बचें और लो फैट वाले खाद्य पदार्थो का सेवन करें। मछली के तेल के रूप में ओमेगा 3 फैटी एसिड का सेवन करें जो शरीर के लिए एक एंटी-इंफ्लेमेट्री की तरह काम करता है।
विटामिन-बी वाले खाद्य पदार्थो का सेवन करें:
शरीर में एस्ट्रोजेन के स्तर को कम करने के लिए विटामिन बी का सेवन करना आवश्यक होता है। एस्ट्रोजेन के बढ़ने के कारण गर्भाशय की रेखा मोटी हो जाती है। इसलिए एस्ट्रोजन का स्तर कम होना महत्वपूर्ण होता है। ब्रोकोली, फूलगोभी, गोभी और शलजम जैसे विटामिन बी का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है। [ये भी पढ़ें: 20-25 साल की उम्र में गर्भधारण करना क्यों है बेहतर]
फाइबर युक्त भोजन का सेवन करें:
उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थो का सेवन करने से शरीर में अधिक एस्ट्रोजेन से छुटकारा मिल सकता है। ओट्स, कॉर्न और मिलेट में फाइबर की मात्रा अत्यधिक होती है जो एंडोमेट्रियोसिस के दौरान इसका सेवन करना अच्छा होता है।
अधिक आयरन प्राप्त करें:
लंबे समय से खून के बहने की वजह से शरीर में आयरन की कमी हो जाती है। तो ऐसे में आपको आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ का सेवन करना चाहिए जैसे- चुकंदर, हरी सब्जियां और अंडे।
हाइड्रेटेड रहें:
अपने शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए आपको अत्यधिक पानी पीने की आवश्यकता है। इस समस्या से ग्रसित लोगों को शराब से बचना चाहिए क्योंकि एल्कोहल प्रोस्टैग्लैंडिस ई2 और एफ2ए को बढ़ाता है जो एक्सट्रोजेन के उत्पादन को उत्तेजित करता है। [ये भी पढ़ें: पहले और दूसरे बच्चे के बीच कितने समय का अंतराल रखें]