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समान्य रूप से सभी मनुष्यों के पास पांच ज्ञानेन्द्रियां(सेन्स) होती हैं। ये ज्ञानेन्द्रियां मनुष्य द्वारा जीवन यापन करने, चीजों को समझने या महसूस करने के लिए उपयोग में लायी जाती है। देखने, सुनने, चखने, सूंघने और स्पर्श करने में इन ज्ञानेन्द्रियों का इस्तेमाल करते हैं। इन पांच ज्ञानेन्द्रियों के अलावा भी एक छठी इंद्री(सिक्स्थ सेन्स) होती है जिससे अक्सर लोग अनजान होते हैं। यह ज्ञानेंद्री हमारे इन्ट्यूशन को बढ़ाती है। इन्ट्यूशन अर्थार्थ किसी चीज के होने का पूर्वाभास होना। सिक्स्थ सेन्स हमें उन चीजों को महसूस करने की शक्ति प्रदान करता है जो आमतौर पर सामान्य ज्ञानेन्द्रियों से महसूस नहीं कर सकते। हम सभी के पास सिक्स्थ सेंस होता है लेकिन अविकसित रूप में होता है। हालांकि कुछ सुझावों के इस्तेमाल से सिक्स्थ सेंस को मजबूत किया जा सकता है। [ये भी पढ़ें: रात में 3 से 5 बजे के बीच उठना हो सकता है अध्यात्मिक जागृति का संकेत]
1. संतुलन बनाये रखें: सिक्स्थ सेंस को बढ़ाने के लिए संतुलन का होना बेहद जरुरी है। संतुलन से तात्पर्य केवल शारीरिक संतुलन से नहीं है बलिक मानसिक संतुलन से भी है। सिक्स्थ सेन्स को मजबूत करने के लिए एक दम शांत रहें और अपनी बाकि ज्ञानेन्द्रियों का इस्तेमाल न करें। अपने अन्दर की ऊर्जा को गहराई से महसूस करें।
2. प्रकृति से जुड़ें: पहले जब मनुष्य किसी एक जगह नहीं रहता था तब ज़िंदा रहने के लिए सिक्स्थ सेंस का होना बेहद जरुरी था। आज के वक्त में हम अपने सिक्स्थ सेन्स को भूल चुके हैं। जानवर जो प्रकृति के करीब रहते हैं उनमे सिक्स्थ सेन्स ज्यादा विकसित होता है इसलिए जानवर आने वाली प्राकृतिक आपदा को पहले ही महसूस कर लेते हैं। हम जितना ज्यादा प्रकृति के करीब रहेंगे हमारी इन्ट्यूशन क्षमता उतनी ही ज्यादा होगी। एक बंद कमरे में रहने से ज्यादा ऊर्जा हमें प्रकृति के करीब जाने में महसूस होती है। जंगल, पेड़ पौधे ये सब जीवित प्रतीत होते हैं और हमसे संपर्क करते हैं इसलिए ऐसे माहौल में हमारी सिक्स्थ सेन्स क्षमता ज्यादा हो जाती है। [ये भी पढ़ें: जानें कुण्डलिनी चक्र कैसे आपके स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं]
3. डायरी में अपने सपनो के बारे में लिखें: सपने हमारे भावनाओं और हमारे सोच, हमारी इच्छाओं का ही रूप होते हैं। हमें हमारे सपनो से कई तरह की जानकारी मिल सकती है इसलिए इसके बारे में लिखना सिक्स्थ सेन्स को मजबूत करने का एक अच्छा तरीका होता है। रोजाना सुबह उठने के बाद अपने सपनो के बारे में जो भी याद हो उसे अपनी डायरी में लिखें। जैसे की सपने में आप कौन सी जगह गए थें, किस से मिले थें, क्या देखा था, क्या महसूस किया था इत्यादि। सपने में देखी गई चीजों का आपके जीवन से क्या संबन्ध हो सकता है उसके बारे में सोचें।
4. छोटी-छोटी चीजों पर दें: सिक्स्थ सेन्स बढ़ाने के लिए सबसे ज्यादा जरुरी है कि आप अपने आस-पास की चीजों की छोटी-छोटी चीजों को देखें उन्हें महसूस करें। उदाहरण के लिए अगर आप एक सड़क से गुजर रहे हैं तो उस सड़क पर मौजूद दुकानों, घरों को ध्यान से देखें। दुकानों के बैनर, घरों के रंग, घर की छतों पर बैठे लोग, सड़क पर चलते लोग, इन सारी चीजों पर ध्यान दें। ऐसा करना आपके सिक्स्थ सेन्स, आपके बोध को बढ़ाता है।
5. जो कुछ देखें उसे लिखें: छोटी-बड़ी चीजों के बारे में लिखना भी सिक्स्थ सेन्स को बढ़ाने में काम आता है। किसी भी नयी जगह जाएं तो उसके बारे में लिखें। ऐसा अनियित रूप से करें। नियमित रूप से ऐसा करने से सिक्स्थ सेन्स में बढ़ोत्तरी होती है। [ये भी पढ़ें: अध्यात्म का सहारा लेकर चढ़ें सफलता की सीढ़ियां]