
माइंडफुल एजिंग एक प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत उम्र के अंतिम पड़ाव पर आने के बाद अपने दिमाग को तनाव, चिंता और अवसाद जैसी समस्याओं से लड़ने के लिए तैयार किया जाता है। माइंडफुल एजिंग का शाब्दिक अर्थ होता है- अपने दिमाग को उम्र के अनुसार तैयार करना। जब आप माइंडफुल एजिंग करते हैं, तो आप अपने दिमाग को विभिन्न अनुभवों और चुनौतियों से उबरने के लिए तैयार करते हैं। यह आपके जीवन और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। आइए जानते हैं, कि माइंडफुल एजिंग कैसे की जा सकती है। [ये भी पढ़ें: विचार जो हमारे मानसिक स्वास्थ्य के विकास के लिए हो सकते हैं खतरनाक]
1.बुरे अनुभवों को भूलना सीखें: हम सभी की जिंदगी में बुरी यादें, धोखा, जीवन से किसी के जाने का दुख जैसे बुरे अनुभव होते हैं। लेकिन इन बुरे अनुभवों के बारे में सोचते रहने से हमें कुछ हासिल नहीं होता। क्योंकि यही बुरे अनुभव और दुख हमें कुछ भी नया करने से रोकते हैं, जिससे हमारा जीवन ठहर सा जाता है। इसलिए माइंडफुल एजिंग का यह प्रमुख पड़ाव है, जिसे सीखना बहुत जरुरी है।
2.अपने शरीर की इज्जत करें: जब आप दिमागी रूप से परिपक्व होने लगते हैं, तो आप अपने शरीर और लुक्स को लेकर इज्जत का भाव रखते हैं। उम्र बढ़ने के साथ आपके शरीर में कई शारीरिक बदलाव होते हैं, जिन्हें लेकर हम दुखी होने लगते हैं। माइंडफुल एजिंग हमें इसी दुख से बाहर निकालने में मदद करती है। [ये भी पढ़ें: अपनी भावनाओं को कैसे काबू में रखें]
3.रचनात्मक बनें: माइंडफुल एजिंग का एक घटक रचनात्मक बनना भी है। आप अपने दिमाग को पेंटिंग, कविता लिखना जैसी रचनात्मक चीजों का अभ्यास करवाइए। इससे आपकी शख्सियत भी निखरती है और आपमें किसी हुनर का भी विकास होता है। यह तरीका आपको किसी भी नकारात्मक परिस्थिति में भी सकारात्मक बनाए रखने में मदद करेगा।
4.उम्र बढ़ने की सच्चाई को अपनाएं: उम्र बढ़ने के साथ हमें कई अच्छे-बुरे अनुभवों से गुजरना पड़ता है। साथ ही किसी प्रिय की मृत्यु या अपनी मृत्यु को लेकर हम काफी डरे रहने लगते हैं। यह आपके दिमाग को हमेशा परेशान रखता है। इसलिए जो बात आपके हाथ में नहीं है, उससे घबराने की बजाए आप उस अवस्था का आनंद लें। क्योंकि मृत्यु जैसी प्राकृतिक चीजें होकर ही रहेंगी, लेकिन इनकी वजह से आप अपनी जिंदगी का आनंद लेना बंद मत कीजिए। [ये भी पढ़ें: अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं कर पाते हैं तो हो सकती है फ्लैट इफेक्ट की समस्या]