
स्मार्टफोन आने की वजह से लोगों की जिंदगी आसान हो गई है। बैठे-बैठे उन्हें अपनी कई समस्याओं का समाधान मिल जाता है। लेकिन अगर दूसरी तरफ देखा जाए तो स्मार्टफोन का इस्तेमाल करना लोगों की जिंगदी को बुरी तरह से प्रभावित भी कर रहा है। यह हमारे सोचने समझने की शक्ति को भी कम कर देता है। किसी भी चीज को लेकर परेशानी होती है तो इंसान उस बारे में सोचने के बजाय इंटरनेट पर उसका समाधान निकालने लगता है और अपने दिमाग पर किसी प्रकार का जोर भी नहीं डालना चाहता है। कई लोगों को इस बात का भी पता होता है कि स्मार्टफोन का इस्तेमाल सीधे उनके दिमाग को प्रभावित कर रहा है। आइए जानते हैं स्मार्टफोन का इस्तेमाल किस प्रकार आपके सोचने समझने की क्षमता को कम कर रहा है। [ये भी पढ़ें: विचार जो आपकी आत्मा को नुकसान पहुंचाते हैं]
लोगों से बात करने के बजाय फोन में रूची लेना: स्मार्टफोन के आने से लोग एक-दूसरे से बात करने के बजाय अपने फोन में लगे रहते हैं। अगर लोग एक ग्रुप में बैठे रहते हैं तो एक-दूसरे से बात करने के बदले सब अपने-अपने फोन में व्यस्त रहते हैं और इससे उनके बीच की दूरी बढ़ती है और साथ ही कम्यूनिकेशन गैप भी बढ़ जाता है।
नींद को प्रभावित करता है:

स्मार्टफोन होने की वजह से लोग सही से सो नहीं पाते हैं। सोने के वक्त भी वो अपने फोन को देखते हैं और उनका सारा ध्यान फोन पर होता है। ऐसा करना ना सिर्फ नींद को प्रभावित करता है बल्कि इसका बुरा प्रभाव दिमाग पर भी पड़ता है क्योंकि अगर कोई इंसान अपनी नींद पूरी नहीं करेगा तो इससे उन्हें थकावट महसूस होगी। [ये भी पढ़ें: पॉजिटिव एटीट्यूड(सकारात्मक दृष्टिकोण) बदल देता है आपका पूरा जीवन]
किसी चीज पर फोकस नहीं कर पाना: स्मार्टफोन होने की वजह से लोग अपने किसी काम पर फोकस नहीं कर पाते हैं। इस वजह से उनका काम बढ़ जाता है और जब इस बात का एहसास होता है तो इससे उनके दिमाग पर गहरा असर पड़ता है जिससे सोचने समझने की शक्ति कम हो जाती है।
दुर्घटना होने की संभावना बढ़ता: रोड पर चलते हुए या ड्राइव करते समय अक्सर लोग अपने स्मार्टफोन में व्यस्त रहते हैं जिससे उन्हें कोई भी चीज नहीं दिखती है या वो कुछ सोच नहीं पाते हैं जिसकी वजह से कोई भी दुर्घटना होने की संभावना बढ़ जाती है।
स्टेटस सिम्बॉल परिभाषित करना: आजकल स्मार्टफोन से लोग स्टेटस सिम्बॉल परिभाषित करते हैं। कई लोग इस बात पर भी ध्यान देते हैं कि किसके पास कौन सा स्मार्टफोन है और उसके अनुसार वो अपनी सोच को बनाते हैं, जो कहीं ना कहीं एक गलत बात है। [ये भी पढ़ें: विचार जो हमारे मानसिक स्वास्थ्य के विकास के लिए हो सकते हैं खतरनाक]