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भावनात्मक हिंसा किसी अन्य हिंसा के मुकाबले ज्यादा खतरनाक होती है। क्योंकि यह पीड़ित व्यक्ति को एकदम चौंका कर कई तरह से प्रभावित करती है। यह व्यक्ति को अन्दर से तोड़कर कई लघु अवधि वाले प्रभाव डालती है, जिससे व्यक्ति के व्यव्हार में अचानक परिवर्तन होने लगते हैं। भावनात्मक हिंसा किसी की भी जिंदगी के संतुलन को बिगाड़कर उसके मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती है। आइए जानते हैं कि भावनात्मक हिंसा से पीड़ित लोगों में कम समय में ही कौन से दिखने लगते हैं। [ये भी पढ़ें: हम क्यों रोते हैं, जानें रोने से जुड़ें कुछ दिलचस्प सच]
1.डर और अपराध की भावना:
भावनात्मक हिंसा के शिकार व्यक्ति हमेशा ऐसे स्थिति और हिंसक व्यक्ति से डरते रहते हैं। उनके अन्दर अपराधबोध की भावना बढ़ती है, जिसमें वह इस हिंसा के लिए खुद को दोषी ठहराते हैं जो कि पूरी तरह निराधार बात है। वहीं बच्चों में भावनात्मक हिंसा उनके व्यक्तित्व को डरा और सहमा हुआ बनाती है।
2.क्रोध या अनुपालन की भावना: कुछ लोगों में भावनात्मक हिंसा क्रोध के भाव को बढ़ाती है, जिससे वह हिंसा करने वाले व्यक्ति या अन्य लोगों के लिए आक्रमक बन जाते हैं। वहीं कुछ लोग हिंसा के डर की वजह से हिंसक व्यक्ति की हर बात का पालन करने लगते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि यदि वो ऐसा नहीं करेंगे तो हिंसक व्यक्ति उनके साथ फिर से दुर्व्यवहार करने लगेगा। [ये भी पढ़ें: संकेत जो बताते हैं कि आपको जॉब छोड़ देनी चाहिए़़]
3.आत्म सम्मान में कमी: भावनात्मक हिंसा की स्थिति पीड़ित के आत्म सम्मान को ठेस पहुंचाकर कम कर देती है और उनके विचार या व्यव्हार को नकारात्मक बना देती है। पीड़ित लोग खुद को ठगा महसूस करने लगते हैं और लोगों से आंखें नहीं मिला पाते। बच्चों में ये स्थिति चिंता पैदा करती है और उनकी दुनिया को बिगाड़ देती है। जो कि भविष्य में उनके मानसिक विकास पर बुरा प्रभाव डालती है।
4.उलझन की स्थिति: चाहे पीड़ित व्यस्क हो या बच्चा हो, वह एकदम से अपने साथ हुई भावनात्मक हिंसा पर विश्वास नहीं कर पाते हैं। जिससे उनके मानसिक स्तर पर एक उलझन भरी स्थिति पैदा हो जाती है और यही उलझन आगे चलकर उनके द्वारा लिए जाने वाले हर फैसले पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। [ये भी पढ़ें: उल्टे हाथ से काम करने वालों के बारे में प्रचलित मिथक]