
जब भी यौन संचारित रोगों की बात की जाती है तो लोग अक्सर एचआईवी और और एड्स में कंफ्यूज हो जाते हैं। जब भी एड्स और एचआईवी के बारे में नाम लिया जाता है तो लगता है कि ये दोनों एक ही है। लेकिन यह सच नहीं है। एचआईवी और एड्स के बीच सबसे बड़ा फर्क यह है कि एचआईवी एक वायरस है। एचआईवी का पूरा नाम ह्यूमन इम्यूनो डिफिशिएंसी वायरस है। यह एक वायरस है जो मनुष्य के इम्यून सिस्टम को प्रभावित करता है। जबकि एड्स एक बीमारी है। एड्स का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यूनोडिफिशिएंसी सिंड्रोम है। जब एचआईवी वायरस इम्यून सिस्टम को पूरी तरह नष्ट कर देता है उसके बाद यह एड्स में तबदील हो जाता है। [ये भी पढ़ें: यौन संचारित रोग की जांच जो लोग अक्सर कराने से बचते हैं]
क्या है एचआईवी: हानिकारक एजेंट से लड़ने के लिए व्यक्ति के शरीर में प्राकृतिक रक्षा तंत्र होता है। एचआईवीहमारे इम्यूव सिस्टम को प्रभावित करता है। शरीर को बीमारियों से बचाने के लिए इम्यून सिस्टम सफेद रक्त कोशिकाओं को इस्तेमाल करता है।
हालांकि एचआईवी वायरस सफेद रक्त कोशिकाओं के साथ CD4 को भी प्रभावित करता है। CD4 एक ग्लाइकोप्रोटीन होता है जो इम्यून कोशिकाओं की सतह पर पाया जाता है। इस वायरस की वजह से एचआईवी इंफेक्शन होता है जिसका अभी तक कोई सही तरीके से इलाज नहीं है।
एचआईवी इंफेक्शन कब एड्स में बदलता है: यह बात का पता होना जरुरी होता है कि एड्स किसी भी बीमारी के कारण नहीं हो सकता है। यह एचआईवी इंफेक्शन का परिणाम होता है। एचआईवी इंफेक्शन की आखिरी स्टेज में शरीर का इम्यून सिस्टम पूरी तरह से फेल हो जाता है। इस कंडीशन को एड्स कहा जाता है।
एड्स की वजह से वजन कम होना, सिरदर्द के साथ अन्य शारीरिक और मानसिक समस्याएं होने लगती है। एड्स से ग्रसित व्यक्ति को किसी भी तरह के संक्रमण हो सकते हैं क्योंकि इम्यून सिस्टम पूरी तरह फेल हो चुका होता है। [ये भी पढ़ें: जानें यौन संचारित रोग ट्रिकोमोनियासिस कैसे फैलता है]