
गर्भनिरोधक दवाइयों का इस्तेमाल गर्भधारण को रोकने के लिए किया जाता है, लेकिन आपमें बहुत से लोग ये नहीं जानते होंगे कि इन गोलियों का उपयोग गर्भधारण को रोकने के अलावा कई स्वास्थ्य समस्याओं में भी किया जा सकता है। एक सर्वेक्षण में पता चला है कि आधे से ज्यादा महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग प्रेग्नेंसी को रोकने के लिये नहीं बल्कि कई दूसरे उपायों के लिए करती हैं। यहां तक कि अगर आप सेक्सुअल एक्टीविटी में शामिल नहीं हैं तब भी आप गर्भनिरोधक दवाइयों का इस्तेमाल कर सकती हैं। खासकर कि वो दवाइयां जिनमें एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन दोनों उपलब्ध हैं। आइए जानते हैं कि गर्भनिरोध के अलावा आप गर्भनिरोधक दवाइयों का इस्तेमाल किसलिए और कैसे कर सकती हैं।
मासिक धर्म के दौरान होने वाला दर्द:
मासिक धर्म के दौरान महिलाओं के शरीर में गर्भाशय एक हार्मोन का उत्पादन करता है जिसे प्रोस्टाग्लैंडीन कहते हैं। इस हार्मोन का स्तर बढ़ जाने के कारण महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान दर्द होता है। इस हार्मोन के कारण गर्भाशय में संकुचन होने लगता है जिसके कारण मासिक धर्म के दौरान ऐंठन होती है। जब इस हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है तो गर्भाशय में अधिक संकुचन होने लगता है जिससे मासिक धर्म में गंभीर दर्द हो सकता है। गर्भनिरोधक दवाइयां ओव्यूलेशन को रोकती हैं, जिससे प्रोस्टाग्लैंडीन का उत्पादन कम हो जाता है साथ ही मासिक धर्म में दर्द से राहत मिलती है। [ये भी पढ़ें: गर्भनिरोधक गोलियों के असर को कम कर देते हैं ये कारक]
मासिक धर्म के दौरान होने वाला माइग्रेन:
एस्ट्रोजेन के स्तर में कमी होने के कारण माइग्रेन हो सकता है। यह खासतौर पर मासिक धर्म के दौरान होता है। गर्भनिरोधक दवाओं के सेवन से हार्मोनल बदलावों में कमी आती है जिससे मासिक धर्म के दौरान होने वाले माइग्रेन की समस्या को कम किया जा सकता है।
एंडोमेट्रियोसिस को ठीक करने में:
एंडोमेट्रियोसिस की समस्या के दौरान गर्भाशय की भीतरी दीवार पर पाए जाने वाले ऊतक उससे बाहर निकलकर बढ़ने लगते हैं जैसे अंडाशय पर, गर्भाशय के पीछे, फैलोपियन ट्यूब और आंत या मूत्राशय पर। इसके कारण मासिक धर्म के दौरान हैवी ब्लीडिंग और दर्द होने लगता है साथ ही यौन सम्बंध बनाते वक्त और गर्भधारण करने में भी परेशानी होती है। गर्भ निरोधक दवाइयों में पाया जाने वाला हार्मोन प्रोजेस्टेरोन न केवल एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों को कम करने में मदद करता है बल्कि गर्भाशय की परत के विकास को रोकता है। [ये भी पढ़ें: जानिये गर्भनिरोधन से कैसे जुड़ा है लैक्टेशनल अमेनोरिया मेथड]
मुंहासे और अन्य त्वचा समस्याओं में राहत:
चेहरे पर मुंहासे आने के मुख्य और सामान्य कारणों में से एक शरीर में हार्मोनल असंतुलन होता है। गर्भ निरोधक दवाएं जिनमें एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन होते हैं, हार्मोन के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। जिसके कारण हार्मोन्स के चलते होने वाली त्वचा समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
पैल्विक इंफ्लेमेट्री डिजीज:
महिलाओं में बांझपन के कारणों में से एक पैल्विक इंफ्लेमेट्री डिजीज(पीआईडी) है। गर्भनिरोधक दवाएं लेने से इस समस्या के होने की संभावनाओं को रोका जा सकता है। दवाओं में पाया जाने वाला प्रोजेस्टिन हार्मोन सर्वाइल म्यूकस को मोटा कर देता है, जिससे पीआईडी के माइक्रोब्स(सूक्ष्म जीव) गर्भाशय ग्रीवा में प्रवेश नहीं कर पाते।