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डायाफ्राम गर्भनिरोधन के लिए इस्तेमाल किये जाना वाला सिलिकॉन या रबर से निर्मित गुम्बदनुमा कप होता है। रबर से निर्मित इस लचीले कप में स्पर्मीसाइडल जेली लगाकर सम्भोग से पहले योनि में प्रविष्ट कराया जाता है। डायाफ्राम योनि और ग्रीवा के बीच दीवार का काम करता है। डायाफ्राम में मौजूद स्पर्मीसाइडल जेली वीर्य में मौजूद शुक्राणुओं को नष्ट कर देते है और डायाफ्राम वीर्य को गर्भाश्य में प्रवेश करने से रोकता है। डायाफ्राम विभिन्न आकारों में आता है और इसे योनि में सम्भोग करने से पहले प्रविष्ट कराया जा सकता है। इसे सम्भोग से कुछ घंटे पहले प्रविष्ट कराना सही होता है।
कैसे करें डायाफ्राम का इस्तेमाल:
- डायाफ्राम सम्भोग से पहले योनि में प्रविष्ट कराएं। सम्भोग के बाद डायाफ्राम को कम से कम 6 घंटे तक योनि में ही रहने दें। अगर आप उसी दिन दोबारा सम्भोग कर रहीं है तो डायाफ्राम को न निकालें। बस योनि में स्पर्मीसाइडल जेली डाल लें। ध्यान रहे की योनि में डायाफ्राम 24 घंटे से ज्यादा न रहें।
- डायफ्राम को योनि में प्रविष्ट कराने से पहले डायफ्राम के अंदरूनी हिस्से में भी स्पर्मीसाइडल जेली लगा लें पर ध्यान रहे कि ये जेली ज्यादा न लगे। [ये भी पढ़ें: गर्भनिरोधक गोलियों के असर को कम कर देते हैं ये कारक]
कैसे डायफ्राम को योनि में प्रविष्ट कराएं:
1.पहले अपने हाथ अच्छी तरह साबुन से धो लें।
2. अपने डायफ्राम को अच्छे से जांच लें कि कहीं इसमें कोई छेद तो नहीं है। ये जांचने के लिए उसमे पानी डाल के देखे कि कहीं पानी का रिसाव तो नहीं हो रहा।
3. एक चम्मच स्पर्मीसाइडल जेली डायफ्राम में डाल ले।
4. एक हाथ से योनि को फैला कर दूसरे हाथ से डायफ्राम को मोड़ कर योनि के अन्दर तक प्रविष्ट कराएं।
कैसे डायफ्राम को योनि से निकालें:
1. अपने हाथ अच्छी तरह से साबुन से धो लें।
2. अपनी तर्जनी अंगुली को योनि में प्रविष्ट कराएं और हुकनुमा आकार बना कर डायफ्राम की रिम को पकड़ें।
3. अब डायफ्राम को खींच कर निकाल लें।
डायफ्राम के लाभ:
- गर्भनिरोधन का यह तरीका महिलाओं द्वारा नियंत्रित होता है।
- इससे जब चाहे फर्टिलिटी वाली अवस्था जब चाहे गर्भनिरोधन वाली अवस्था में आया जा सकता है।
- एक डायफ्राम का इस्तेमाल 2-3 साल तक किया जा सकता अगर इसे साफ-सफाई के साथ रखा जाए।
- स्तनपान कराने वाली महिलायें भी इसका इस्तेमाल कर सकती हैं। [ये भी पढ़ें: क्या होता है गर्भनिरोधक गोलियों का लो और अल्ट्रा लो डोज]
डायफ्राम से हानि:
- योनि में डायफ्राम प्रविष्ट कराने में असहजता।
- डायफ्राम योनि में प्रविष्ट कराने के लिए डॉक्टर से सहायता लेना।
- अगर किसी को लेटेक्स(रबर) से एलर्जी है तो उसे सिलिकॉन डायफ्राम का इस्तेमाल करना पडे़गा जो काफी महंगा होता है।
- डायफ्राम के इस्तेमाल से यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन का ख़तरा बना रहता है।
- गलत आकार का डायफ्राम श्रोणि(पेल्विस) में दर्द बढ़ा सकता है।
- शराब के नशे में इसका इस्तेमाल न कर पाना।