
योग करने से हम शारीरिक के साथ मानसिक रूप से भी स्वस्थ बनते हैं। योग करने से हमारा दिमाग चुस्त और मजबूत बनता है और शरीर की सभी मसल्स लचीली बन जाती हैं और शरीर में रक्त-प्रवाह सुधर जाता है। लेकिन लोगों के बीच योग से जुड़े कुछ मिथक प्रचलित हैं, जिनपर विश्वास नहीं किया जाना चाहिए। इन मिथकों पर विश्वास करने से आप योग के फायदों से वंचित हो सकते हैं। इसलिए आइये जानते हैं कि योग से जुड़े कौन से मिथक हैं। [ये भी पढ़ें: प्रभावी योगासन जो आप ऑफिस में कर सकते हैं]
मिथक 1: योग के लिए लचीला होना जरुरी है
सच: यह मिथक सबसे ज्यादा प्रचलित है कि योग करने के लिए आपको लचीला होना जरुरी है। लेकिन ये सबसे बड़ा झूठ है क्योंकि हर किसी खेल की तरह योग के लिए आपको अभ्यास की जरुरत है। अभ्यास करते-करते आपका शरीर लचीला होने लगता है।
मिथक: पतला होना जरुरी है
सच: दरअसल योग करने का सबसे आम कारण मोटापे का होना होता है। इसलिए योग करने के लिए आपको पतला होना जरुरी नहीं है, बल्कि योग करने के बाद आप पतले हो जाते हैं। योग का फायदा लेने के लिए किसी भी वजन और साइज के लोग इसका अभ्यास कर सकते हैं।[ये भी पढ़ें: पुरुषों के लिए सबसे प्रभावी योगासन]
मिथक: वर्कआउट जैसा फायदा नहीं देता
सच: कुछ योगासन आपके दिमाग और शरीर को शांत करने के लिए किये जाते हैं, जिसमें शरीर की कम मूवमेंट होती है। लेकिन हॉट पॉवर योगा जैसे योग शारीरिक रूप से काफी चुनौतीपूर्ण होते हैं, जो आपकी मसल्स पर काफी प्रभाव डालते हैं और शरीर को मजबूत, लचीला और संतुलित बनाते हैं।
मिथक: योग एक धार्मिक क्रिया है
सच: हालांकि योग का जन्म भारत में हुआ था, जिसका हिन्दू और बौध धर्म से गहरा संबंध है। लेकिन दुनिया में अधिकतर लोग इसे शारीरिक क्रिया के तौर पर देखते हैं और यह सही भी है। योग का मुख्य उद्देश्य शरीर और दिमाग को स्वस्थ और मजबूत करना होता है।
मिथक: योग पुरुषों के लिए नहीं है
सच: सदियों पहले योग की खोज पुरुषों ने ही की थी, हालांकि समय के साथ लचीला नहीं होने या हल्का होने जैसे बहानों की वजह से पुरुषों ने इसे करना छोड़ दिया है। आप देख सकते हैं कि दुनिया में ऐसे बहुत से प्रोफेशनल पुरुष हैं, जो इसके फायदे और जरुरत के बारे में बताते हैं। [ये भी पढ़ें: सीने के फैट को कम करने के लिए योगासन]