
प्राणायम सांस लेने का योग विज्ञान है। ऑक्सीजन हमारे लिए सबसे महत्त्वपूर्ण तत्व है। यह जीवन के लिए सबसे आवश्यक चीज है और इसके बिना जीवन की कल्पना करना भी मुमकिन नहीं है। ऑक्सीजन दिमाग, तंत्रिकाओं और अंदरूनी अंगों के सुचारू ढंग से चलने के लिए बेहद जरुरी है। हम भोजन के बिना कुछ हफ़्तों तक जी सकते हैं, पानी के बिना कुछ दिनों तक जी सकते हैं पर ऑक्सीजन के बिना हम कुछ ही मिनटों तक जीवित रह सकते हैं। प्राणायाम सांस लेने की क्रिया पर ही आधारित योग व्यायाम है। आइए जानते हैं इसे कितने प्रकार से किया जाता है और इनकी विधि क्या है। [ये भी पढ़ें: कमर के निचले हिस्से में होने वाले दर्द से राहत दिलाएंगे ये योगासन]
कब करें प्राणायाम:
प्राणायाम हमेशा खाली पेट करना चाहिए। प्राणायाम करने के लिए सूर्योदय से पहले का समय सबसे उपयुक्त होता है। इस समय वातावरण में प्रदूषण कम होता है तथा दिन के अन्य पहर की तुलना में शान्ति ज्यादा होती है। इस समय सांसों पर ध्यान लगाने में ज्यादा आसानी होती है। वो लोग जो दिन में प्राणायाम नहीं कर सकते उनके पास शाम को भी प्राणायाम करने का विकल्प होता है। हालांकि शाम को उसी समय प्राणायाम करना चाहिए जब हवा ठंडी हो और वातावरण शांत हो।
प्राणायाम के प्रकार:
प्राणायाम के मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं:
नाड़ी शोधन:
नाड़ी शोधन प्राणायाम करने से खून साफ़ होता है तथा खून में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है। इस प्राणायाम से नसों से गन्दगी दूर होती है इसलिए इस प्राणायाम को नाड़ी शोधन प्राणायाम के नाम से जाना जाता है। यह प्राणायाम श्वसन तंत्र को भी मजबूत बनाता है तथा बेचैनी और सिरदर्द की समस्याओं को दूर रखता है। इस प्राणायाम में अंगुलियों को आंखों के बीच वाली जगह पर रखकर सांस लिया जाता है। [ये भी पढ़ें: योगासन जिनको करने से आप पाएंगे सुकून भरी नींद]
शीतली प्राणायाम:
शीतली प्राणायाम का नाम शीतल शब्द से लिया गया है जिसका मतलब ठंडा होता है। शीतली प्राणायाम करने से मन शांत होता है तथा शरीर से अत्यधिक गर्मी को दूर करता है। इस प्राणायाम से ब्लड प्रेशर भी नियंत्रित होता है। अगर आप तनाव में है तो 10 मिनट शीतली प्राणायाम करने से तनाव दूर हो जाएगा। इस प्राणायाम में जीभ को मोड़कर सांस लिया जाता है।
उज्जयी प्राणायाम:
उज्जयी का मतलब समुद्र होता है और इस प्राणायाम में सांसो से समुद्र की आवाज निकाली जाती है इसलिए इस व्यायाम का नाम उज्जयी प्राणायाम रखा गया है। इस प्राणयाम में सांसो को गर्दन में रोका जाता है और आवाज निकाली जाती है।
कपालभाति प्राणायाम:
कपालभाति प्राणायाम कपाल और भाति शब्द के संयोजन से बना है। कपाल का मतलब सर होता है और भाति का मतलब चमकना होता है। कपालभाति प्राणयाम से पाचन क्रिया मजबूत होती है तथा फेफड़े मजबूत होते हैं। इस प्राणायाम के दौरान सांस लेकर पेट को हिलाया जाता है।
अनुलोम विलोम प्राणयाम:इस प्राणायाम में नाक के एक हिस्से को बंद कर के नाक के दूसरे हिस्से से सांस लिया जाता है। ये प्राणायाम नाक को साफ़ करने तथा मन को शांत करने में काफी फायदेमंद साबित होता है। [ये भी पढ़ें: इन योग की मदद से बनाएं अपने पाचन तंत्र को बेहतर]