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कपालभाति, प्राणायाम का एक प्रकार है जिसे करने से शरीर की कई तरह की समस्याएं दूर होती हैं। कपाल का मतलब माथा होता है तथा भाति का मतलब चमकना होता है। नियमित रूप से कपाल भाति प्राणायाम करने से चेहरे पर तेज उत्पन्न होता है। कपाल भाति बैठ कर किया जाने वाला प्राणयाम है और इसके कई तरह के फायदे शरीर और दिमाग पर दिखाई देते हैं। आइए जानते है कपालभाति प्राणयाम कैसे किया जाता है और इसके क्या फायदे होते हैं। [ये भी पढ़ें: जानें क्या है अनुलोम विलोम प्राणायाम और इसके स्वास्थ्य लाभ]
कपालभाति प्राणयाम करने का तरीका:
कपालभाति प्राणयाम करने का तरीका आसान होता है। हालांकि इसे करने के दौरान इस बात पर ध्यान देना ज्यादा जरुरी हो जाता है की ये सही तरीके से किया जा रहा है या नहीं। कपालभाति करने के लिए इन स्टेप्स का पालन करें।
1. सबसे पहले पालथी मार कर बैठ जाएं और ध्यान रखें की आपके दायें पैर का निचला हिस्सा बाएं जांघ पर हो बाएं पैर का निचला हिस्सा आपके बाएं पैर के जांघ पर हो।
2. अब गहरी सांस लें और और तेजी से गति में सांसें छोड़ दें। सांस इस तरह छोड़ें की तेज आवाज हो।
3. जब आप सांसें छोड़ें तो अपने पेट की मासंपेशियों को भी उसी हिसाब से अन्दर की तरफ करें। सांस लेते वक्त आपका पेट फूलना चाहिए वहीं सांस छोड़ते समय आपका पेट पिचकना चाहिए।
4. इस प्राणायाम को दस बार दोहराएं और एक ब्रेक लें। ब्रेक के बाद फिर से इस व्यायाम को दोहराएं।
कपालभाति प्राणयाम के फायदे:
वजन घटाने में मदद करता है:
कपालभाति प्राणयाम नियमित रूप से करने से वजन घटाता है। दरअसल कपालभाति करने का प्रभाव सीधे पेट की मांसपेशियों पर पड़ता है जिससे वजन घटाने में आसानी होती है। [ये भी पढ़ें: नाड़ी शोधन प्राणायाम करने की विधि और इसके स्वास्थ्य लाभ]
श्वशनतंत्र को मजबूत करता है: कपालभाति प्राणायाम करने से श्वशनतंत्र के पैसेज साफ़ होते हैं जिससे किसी भी तरह के संक्रमण और एलर्जी के होने की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है।
हर्निया का ख़तरा होता है कम: कपालभाति प्राणायाम करने से डायाफ्राम में लचीलापन आता है। दरअसल प्राणायाम करने के दौरान डायाफ्राम का नियमित रूप से व्यायाम होता है जिससे डायाफ्राम में रक्तसंचार बढ़ता है। डायाफ्राम के मजबूत और लचीले हो जाने की वजह से हर्निया जैसे रोगों के होने का ख़तरा कम हो जाता है।
शरीर की कार्यक्षमता को दुरुस्त करता है: कपालभाति प्राणयाम की वजह से शरीर में रक्त संचार बढ़ता है जिस वजह से शरीर के कार्य करने की क्षमता दुरुस्त होती है। कपालभाति की वजह से फेफड़ों की क्षमता भी बढती है और खून में ऑक्सीजन की मात्रा में भी इजाफा होता है।
कपालभाति प्राणयाम किसे नहीं करना चाहिए: कपालभाति प्राणायाम दिमाग और शरीर के लिए फायदेमंद होता है तथा तनाव को भी दूर करता है लेकिन ये प्राणायाम सभी को नहीं करना चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है की कुछ रोग और समस्याओं की स्थिति में कपालभाति प्राणायाम का करना सही नहीं होता है। उदाहरण के लिए उन लोगों को कपालभाती प्राणायाम नहीं करना चाहिए जिन लोगों में कोई हृदय रोग हो, स्पाइनल इंजरी या स्पाइनल डिजीज हो। श्वशनतंत्र के संक्रमण से जूझ रहे लोगों को भी कपालभाति प्राणायाम नहीं करना चाहिए। आमतौर पर डॉक्टर हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की समस्या से पीड़ित लोगों को भी कपालभाती प्राणायाम नहीं करने की सलाह देते हैं। [ये भी पढ़ें: नाड़ी शोधन प्राणायाम करने की विधि और इसके स्वास्थ्य लाभ]