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आनंद बालासन को हैप्पी बेबी पोज भी कहा जाता है। आनंद बालासन को करने से आपका दिमाग शांत होता है और शारीरिक तनाव भी दूर होता है। यह बालासन आपकी मानसिकता को जागरूकता और सचेतन की अवस्था में लाता है और शरीर में ऊर्जा का संचार करता है। आनंद बालासन का अभ्यास किसी भी उम्र का व्यक्ति कर सकता है और इसके फायदे पा सकता है। आइए आनंद बालासन करने की विधि क्या है और इससे स्वास्थ्य को क्या लाभ होते हैं। [ये भी पढ़ें: उष्ट्रासन करने की विधि और इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभ]
आनंद बालासन करने की विधि:
1. आनंद बालासन करने के लिए कमर के बल लेट जाएं।
2. अब सांस को अन्दर लेते हुए पैरों को ऊपर सीधा उठाएं।
3. फिर अपने दोनों हाथों से पैरों की उंगलियों को पकड़ें।
4. अब अपनी कोहनियों और घुटनों को छाती तक लेकर आएं।
5. अब आराम से अपने कूल्हों को फैलाएं, जिससे पैरों के बीच में जगह बन जाए।
6. अपनी ठुड्डी को छाती की तरफ कर लें, लेकिन ध्यान रहे कि सिर और कमर पूरी तरह जमीन पर रखी हो।
7. अब अपनी टेलबोन और सेक्रम हड्डी को जमीन की तरफ दबाएं और अपनी एडियां ऊपर की तरफ सीधी रखें।
8. आराम से सांस लेते रहे और इसी अवस्था में 30 सेकिंड तक रहें।
9. अब सांस को बाहर छोड़ते हुए हाथों और पैरों को उल्टी प्रक्रिया में दोहराएं और कुछ देर जमीन पर सीधा लेटे रहें।
आनंद बालासन करने के फायदे:
1. आपकी कमर, रीढ़ की हड्डी, जांघों का अंदरूनी हिस्सा और हैमस्ट्रिंग को स्ट्रेच करता है और मांसपेशियों का तनाव दूर करता है।
2. आपके कूल्हों की मसल्स को लचीला बनाता है।
3. कंधों और छाती की मसल्स को मजबूती देता है।
4. आनंद बालासन के रोजाना अभ्यास से आपकी हृदय गति सुधरती है और दिमाग शांत बनता है। [ये भी पढ़ें: हैंगओवर दूर करने के लिए करें योगासन]
सावधानियां:
1. अगर आपको गर्दन या कमर में चोट लगी हुई है, तो यह आसान नहीं करना चाहिए।
2. आनंद बालासन करते हुए आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए, जिससे चोट लगने का खतरा कम हो जाता है।
3. गर्भवती महिलाओं या मासिक धर्म में इस आसान का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
4. उच्च रक्तचाप के शिकार लोगों को भी इस आसान से बचना चाहिए। [ये भी पढ़ें: अर्धपिंच मयूरासन करने की विधि और इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभ]