इस तरह के मानसिक विकार के कारण व्यक्ति में अपनी रूप रेखा को लेकर बहुत ज्यादा आत्मविश्वास की कमी देखने को मिलती है। इसके साथ-साथ इसमें व्यक्ति अपने आपको कुरूप समझने लगता है और अपने आपको छुपाने लगता है।
वजन कम करने से पहले इन गलतफहमियों को करें दूर
वजन कम करने को लेकर लोगों को बहुत सी गलतफहमियां होती है जिसके कारण वह अपना वजन कम नहीं कर पाते हैं। जरुरी है कि आप इसके बारे में सही जानकारी रखें ताकि आने वाले समय में इससे जुड़ी समस्याओं को टाला जा सके।
अच्छी नींद और खूब सारा पानी, वजन घटाने में होगी आसानी
अपने बढ़ते वजन को नियंत्रित करने के लिए जरुरी नहीं है कि आपको ज्यादा मशक्कत करनी पड़े। आप कुछ आसान सी चीजें करके और एक्सरसाइज करके भी अपने वजन को इच्छा के मुताबिक कम कर सकते हैं।
वजन कम करने के लिए अपनाएं इंटरमिटेंट फास्टिंग तकनीक
इंटरमिटेंट फास्टिंग एक असरदार तरीका है जिससे आप आसानी से अपने वजन को कम कर सकतें हैं। यह एक प्रकार का व्रत होता है, लेकिन इसमें भोजन करने और फास्ट रखने का एक निश्चित समय होता है।
जानिए क्या है अवॉयडेंट पर्सनालिटी डिसऑर्डर
अवॉयडेंट पर्सनालिटी डिसऑर्डर के होने पर व्यक्ति अपने आस-पास की चीजों को और लोगों को अवॉयड करना शुरू कर देता है। इस तरह के विकार से ग्रसित होने के पीछे का अहम कारण हैं आत्मविश्वास में अत्यधिक कमी आना।
वजन घटाना है तो करें इन ड्रिंक्स का सेवन
वजन कम करने के लिए जिम जाना और बिना फैट वाला भोजन खाना बहुत जरुरी होता है, लेकिन इसके साथ-साथ कुछ ऐसे पेय पदार्थ भी हैं जिनके सेवन से आप शरीर की कैलोरी थोड़े समय में कम कर सकते हैं। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व एक्स्ट्रा फैट भी बर्न हो जाते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य पर गहराता सोशल मीडिया का असर
हम सब सोशल मीडिया पर घंटों समय बिता देते हैं। लेकिन क्या कभी आपने यह जानने की कोशिश की है कि इसके कारण आपको क्या-क्या साइड इफेक्ट हो सकते हैं। आइए जानते हैं कि सोशल मीडिया के क्या विपरीत परिणाम हो सकते हैं।
हमेशा बीमार महसूस करना हो सकता है गेंसर सिंड्रोम का लक्षण
इस तरह के मानसिक विकार में व्यक्ति अपने आप को बहुत ज्यादा बीमार समझने लगता है, जबकि असल में वह बीमार नहीं होता है। ऐसे में वह जिस बीमारी के बारें में सोचता है उसकी दवाओं का सेवन और जांच आदि कराने लगता है। आइए जानते हैं गेंसर सिंड्रोम से जुड़ी बातों के बारे में।
कहीं आपके डर का कारण एंग्जायटी डिसऑर्डर तो नहीं
एंग्जायटी डिसऑर्डर के दौरान रोगी में भय और बेचैनी की भावनाएं उत्पन्न होना और नींद न आने जैसे लक्षण दिख सकते हैं। यह डिसऑर्डर दिमाग के तंत्रिका तंत्र में क्षति पहुंचने के कारण हो सकता है।
बचपन में ही बच्चे हो सकते हैं इस तरह के मानसिक रोगों के शिकार
आज के समय में बच्चें और किशोर बहुत जल्दी परेशान हो जाते हैं, जिसका असर उनके दिमाग पर पड़ता है और वह मानसिक रोगों से ग्रसित हो जाते हैं। बच्चों में मानसिक रोग कई तरह से हो सकते हैं, जो उनकी जिंदगी को प्रभावित करते हैं।